पिता है ना...
पिता है ना
जन्म होते ही बच्चे को गोद में उठाता है,
हवा मे उछाल कर रोते को भी हँसाता है,
घोड़ा बन कर पूरे घर में उसे घूमाता है,
बाँहों में लेकर झूला भी खिलाता है,
पिता है ना ..... बच्चे के साथ बच्चा भी बन जाता है।
मेला भी वही घुमाता है,
अक्सर नए खिलौने भी लाता है,
चोट लगने पर मरहम भी लगाता है,
रोज नई कहानी सुनाता है,
पिता है ना ...... बच्चे के लिए सेंटा क्लॉज भी बन जाता है।
गलती करने पर भी प्यार से समझाता है,
दुनियादारी क्या है, ये हमें सिखाता है,
हर जिद को पूरा भी वही कराता है,
गुस्सा आने पर भी हाथ नहीं उठाता है,
पिता है ना ...... बच्चे का सच्चा दोस्त भी बन जाता है।
बिना कहे मन की बात जान जाता है,
पाई-पाई जोड़ सपनो को पूरा कराता है,
मुसीबत हो तो बस वही नज़र आता है,
काँधे पर हाथ रख सुकून भरा अहसास दिलाता है,
पिता है ना ..... जिम्मेदारी का बोझा खुशी-खुशी उठाता है।
जीवनसाथी बन माँ का साथ निभाता है,
बहु को भी बेटा कह कर बुलाता है,
बेटी को सर आँखों पर बिठाता है,
बेटे की तरक्की पर लड्डू भी बटवाँता है,
पिता है ना ...... रिश्तो को बखूबी निभाता है।
ब्रह्मा की तरह घर का मुखिया कहलाता है,
विष्णु की तरह पालनहार बन जाता है,
शिव की तरह जल्दी ही खुश भी हो जाता है,
तो कृष्ण की तरह अथाह प्रेम का सागर बन जाता है,
पिता है ना ..... भगवान् तो नही, पर भगवान् से कम भी नहीं कहलाता है।
~ @_an_anonymous_woman (Instagram)